Tuesday, 19 December 2017

Hindi Story on Teacher , गुरु पर हिंदी कहानी

एक राजा था. उसे पढने लिखने का बहुत शौक था. एक बार उसने मंत्री-परिषद् के माध्यम से अपने लिए एक शिक्षक की व्यवस्था की. शिक्षक राजा को पढ़ाने के लिए आने लगा. राजा को शिक्षा ग्रहण करते हुए कई महीने बीत गए, मगर राजा को कोई लाभ नहीं हुआ. गुरु तो रोज खूब मेहनत करता थे परन्तु राजा को उस शिक्षा का कोई फ़ायदा नहीं हो रहा था. राजा बड़ा परेशान, गुरु की प्रतिभा और योग्यता पर सवाल उठाना भी गलत था क्योंकि वो एक बहुत ही प्रसिद्द और योग्य गुरु थे. आखिर में एक दिन रानी ने राजा को सलाह दी कि राजन आप इस सवाल का जवाब गुरु जी से ही पूछ कर देखिये.

राजा ने एक दिन हिम्मत करके गुरूजी के सामने अपनी जिज्ञासा रखी, ” हे गुरुवर , क्षमा कीजियेगा , मैं कई महीनो से आपसे शिक्षा ग्रहण कर रहा हूँ पर मुझे इसका कोई लाभ नहीं हो रहा है. ऐसा क्यों है ?”
गुरु जी ने बड़े ही शांत स्वर में जवाब दिया, ” राजन इसका कारण बहुत ही सीधा सा है…”
” गुरुवर कृपा कर के आप शीघ्र इस प्रश्न का उत्तर दीजिये “, राजा ने विनती की.
गुरूजी ने कहा, “राजन बात बहुत छोटी है परन्तु आप अपने ‘बड़े’ होने के अहंकार के कारण इसे समझ नहीं पा रहे हैं और परेशान और दुखी हैं. माना कि आप एक बहुत बड़े राजा हैं. आप हर दृष्टि से मुझ से पद और प्रतिष्ठा में बड़े हैं परन्तु यहाँ पर आप का और मेरा रिश्ता एक गुरु और शिष्य का है. गुरु होने के नाते मेरा स्थान आपसे उच्च होना चाहिए, परन्तु आप स्वंय ऊँचे सिंहासन पर बैठते हैं और मुझे अपने से नीचे के आसन पर बैठाते हैं. बस यही एक कारण है जिससे आपको न तो कोई शिक्षा प्राप्त हो रही है और न ही कोई ज्ञान मिल रहा है. आपके राजा होने के कारण मैं आप से यह बात नहीं कह पा रहा था.
कल से अगर आप मुझे ऊँचे आसन पर बैठाएं और स्वंय नीचे बैठें तो कोई कारण नहीं कि आप शिक्षा प्राप्त न कर पायें.”
राजा की समझ में सारी बात आ गई और उसने तुरंत अपनी गलती को स्वीकारा और गुरुवर से उच्च शिक्षा प्राप्त की .
मित्रों, इस छोटी सी कहानी का सार यह है कि हम रिश्ते-नाते, पद या धन वैभव किसी में भी कितने ही बड़े क्यों न हों हम अगर अपने गुरु को उसका उचित स्थान नहीं देते तो हमारा भला होना मुश्किल है. और यहाँ स्थान का अर्थ सिर्फ ऊँचा या नीचे बैठने से नहीं है , इसका सही अर्थ है कि हम अपने मन में गुरु को क्या स्थान दे रहे हैं।  क्या हम सही मायने में उनको सम्मान दे रहे हैं या स्वयं के ही श्रेस्ठ होने का घमंड कर रहे हैं ? अगर हम अपने गुरु या शिक्षक के प्रति हेय भावना रखेंगे तो हमें उनकी योग्यताओं एवं अच्छाइयों का कोई लाभ नहीं मिलने वाला और अगर हम उनका आदर करेंगे, उन्हें महत्व देंगे तो उनका आशीर्वाद हमें सहज ही प्राप्त होगा.

Monday, 18 December 2017

जीत के लिए जिद जरुरी - Insprirational Hindi Story

दोस्तों मैंने हमेशा एक ही बात की है की बिना जिद के जीत नहीं और ये बिलकुल सच है ....हम, सब बड़े बड़े लक्ष्य बनाते हैं .. बड़े बड़े सपने देखते हैं .. ये सपने किसी भी चीज से सम्बंधित हो सकते हैं ! हम सब लक्ष्य तो बनाते हैं पर उसमे उतनी शिद्दत नहीं दे पाते ..आईएएस की तैयारी में भी कई छात्र तैयारी तो करते हैं पर उसक साथ वो एक विकल्प भी बचाकर रखते हैं की अगर वो न हुआ तो ये तो है हमारे पास ...
tdl.edu.in

दोस्तों बचपन की एक आदत आती है जब बाजार में किसी खिलौने के हम सब मचलते थे फिर मम्मी पापा की मार के बाद भी भूत नहीं उतरता था और जब तक उस चीज को प् नहीं लेते थे कोसिस करते ही रहते थे .... ऐसे तो हमारा बचपन ही अच्छा था कम से कम शिद्दत तो थी किसी चीज को हासिल करने की ...कम से कम हम विकल्प की तलाश तो नहीं करते थे और न ही कोई सरल रास्ता खोजते थे ... 

दोस्तों मैं मानता हूँ कि आईएएस मुश्किल लक्ष्य है पर नामुकिन तो नहीं न ...कोई भी चीज अगर आसानी से मिल जाये तो उसे पाने में वो मजा नहीं रहता जो संघर्ष और मेहनत के साथ किसी चीज को पाने में होता है ...

बहुत पहले मैंने एक छोटे से बच्चे को देखा था वह बड़ी देर पास कि एक कील पर से एक थैला निकलने का प्रयास कर रहा था पर बच्चे कि लम्बाई उस कील से काफी कम थी ...मेरे अंदाज में लगभग तीन गुना ऊपर थी कील ..और उसे छू पाना उसके लिए असंभव था पर इस बात से बिलकुल बेखबर वो लड़का उचक उचक कर लगातार प्रयास करता रहा..जब बार बार असफल हुआ तो दूसरे कमरे में रखा एक स्टूल ले आया ..पर अब भी बात बनी नहीं ..अभी भी थोड़ी उचाई बाकी थी ... लड़का स्टूल पर खड़े होकर फिर उचक कर उसे पाने का प्रयास करता रहा इसी क्रम में कई बार स्टूल का संतुलन बिगड़ा और लड़का जमीन पर गिरा .एक बार तो उसके नाक पर चोट लगी और थोड़ा खून भी निकल आया ...पर अजीब सी जिद पकड़ रखी थी उसने वह फिर खड़ा हुआ , दर्द और खून को नजरअंदाज करते हुए उसने एक बार फिर जोर से प्रयास किया इस बार भी स्टूल गिरा ..और लड़का फिर मुह के बल जमीन पर था पर इस बार वह खाली हाथ नहीं था ..इस बार उसके हाथ में थैला था .... 

                  दोस्तों मैं मानता हूँ अगर शिद्दत हो कुछ पाने की तो आईएएस तो क्या कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है ! एक लक्ष्य हो , एक जूनून हो , थोड़ा हौसला हो , और थोड़ी सी जिद हो तो सारी दुनिया आप अपने कदमो में झुका सकते हो .........
tdl.edu.in

Thursday, 14 December 2017



शिक्षा के महत्त्व की कहानी ,IMPORTANCE OF EDUCATION

आज की यह कहानी importance of education उन लोगो के लिए है जो कहते है “उन्हें पढ़ने का मोका नही मिला” या फिर “पढाई हमारी किस्मत में ही नही थी” और बच्चों के लिए है. तो हम आपसे कहना चाहते है कि बच्चों और स्टूडेंट्स को ये कहानी जरूर बताए….


IMPORTANCE OF EDUCATION की कहानी


एक आदमी जिसकी अपनी एक सामाजिक पहचान है दिन भर में कई लोगो से मिलता है कई लोग उसका इंतज़ार करते है. वो एक दिन बड़े से मॉल में किसी वस्तु की शिकायत करने जाता है और मॉल के सफाई कर्मचारी से पूछता है मैनेजर का ऑफिस कहा है वो कर्मचारी उसे मेनेजर के ऑफिस तक छोड़ देता है और वहाँ पर खड़ा छः फीट लंबा सिक्योरटी गॉर्ड उसे रोकता है और इंतज़ार करने को कहता है थोड़ी देर बाद मैनेजर उस आदमी को अंदर बुलाता है

वो आदमी मैनेजर को देखता है जो बहुत ही दुबला पतला, आँखों पर चश्मा लगाए हुए एक हाथ में पेन और दूसरे में कंप्यूटर का माउस लिए बड़ी सी कुर्सी पर बैठे  है मैनेजर उस आदमी को भी बैठने का इशारा करता है. उसकी पूरी बात ध्यान से सुनता है और उसकी शिकायत को दूर करने के लिए उसे इंतज़ार करने को कहता है और उसकी वस्तु को लेकर मॉल के उस डिपार्टमेंट में चला जाता है जहा से उसने वो वस्तु खरीदी थी.
वो आदमी सोचता है मेरे से मिलने के लिए लोग इंतज़ार करते है और मैं इस मेनेजर का इंतज़ार करूँगा और बेचैन होकर बहार आ जाता है।बहार खड़े गॉर्ड को कहता है ये चश्मिश जानता नही मैं कौन हूँ मैं किसी का इंतज़ार नही करता। गॉर्ड कहता है साहब सामान वापसी का यही नियम है आपको थोडा इंतज़ार तो करना पढ़ेगा।
वो आदमी गॉर्ड से बाते करने लगता है और बातो बातों में पूछता है ” तुम इतने हैंडसम हो छः फिट लम्बे हो, ताकतवर भी हो उससे. तुम मैनेजर से डरते हो क्या???
साहब, मेरा हैंडसम होना ताकतवर होना कोई मायने नही रखता. मैनेजर मुझसे ज्यादा पढ़ा लिखा है और आज कलम की ताकत  सबसे बड़ी ताकत है।
“फिर तुमने पढाई क्यों नही की?”
इस बात का तो जिंदगी भर अफ़सोस  रहेगा साहब, माँ बाप स्कूल भेजते थे मैं ही स्कूल से भागता था, माँ- बाप ने घर पर भी टीचर लगा दिया था जो मुझे रोज पढाने आता था पर मेरी किस्मत में पढाई की रेखा बहुत छोटी है.
“हा, गाँव में पढाई का माहौल भी नही होता और स्कूल कॉलेज भी ठीक नही होते”
नही साहब,  ये तो बस बहाना है न पढ़ने का। गाँव में भी सरकारी स्कूल होते है जो यहाँ किताबे पढ़ाई जाती है वहाँ भी वही किताबे पढाई जाती है असल में पढता वही है जो मजबूर हो या उसे पढ़ने का शौक हो.
ये जो आप मैनेजर देख रहे है ये मेरे ही गाँव का है। कभी स्कूल में मास्टर जी नही आते थे तो हम सिनेमा देखने चले जाते थे और ये पेड़ के निचे बैठ कर पढता था और हम इसपर हंसते थे. हमारे पापा के पास बहुत जमीन थी बहुत पैसा था और इसके पास कुछ नही था हमारी जमीन पापा की बीमारी खा गई और सारा पैसा भी खत्म हो गया हम गाँव में बेरोजगार हो गए।
फिर एक दिन मैनेजर साहब को हमने अपनी तकलीफ बताई और वो हमे दिल्ली ले आये और यहाँ पर ये गॉर्ड की नौकरी दिलवा दी। अब चल जाता है इससे थोडा बहुत खर्चा पानी..
साहब मैं तो कहूँगा की आप भी बच्चों को समझाइये जो स्कूल से भाग कर सिनेमा या मॉल जाते है  और पढ़ाई से भागते है। उन्हें आज की ये गलती कल भारी पड़ेगी…
गॉर्ड की उन बातों ने उस आदमी को सोचने पर मजबूर कर दिया की education कितनी जरूरी है। लोगो पर हँसना बन्द करो, उन्हें कोसना बन्द करो और पढ़ाई करो पढ़ाई करो।
इतने में मैनेजर वापिस आ गया और उस आदमी से माफ़ी मांगते हुए उनकी शिकायत दूर की और हाथ मिलाया.
                                                                                                   


नेपोलियन के बुलंद होसलों की कहानी- A MOTIVATIONAL STORY IN HINDI FOR PROBLEM SOLVING


नेपोलियन अक्सर जोखिम (risky) भरे काम किया करते थे। एक बार उन्होने आलपास पर्वत को पार करने का ऐलान किया और अपनी सेना के साथ चल पढे। सामने एक विशाल और गगनचुम्बी पहाड़ खड़ा था जिसपर चढ़ाई करने असंभव था। उसकी सेना मे अचानक हलचल की स्थिति पैदा हो गई। फिर भी उसने अपनी सेना को चढ़ाई का आदेश दिया। पास मे ही एक बुजुर्ग औरत खड़ी थी। उसने जैसे ही यह सुना वो उसके पास आकर बोले की क्यो मरना चाहते हो। यहा जितने भी लोग आये है वो मुह की खाकर यही रहे गये। अगर अपनी ज़िंदगी से प्यार है तो वापिस चले जाओ। उस औरत की यह बात सुनकर नेपोलियन नाराज़ होने की बजाये प्रेरित हो गया और झट से हीरो का हार उतारकर उस बुजुर्ग महिला को पहना दिया और फिर बोले; आपने मेरा उत्साह दोगुना कर दिया और मुझे प्रेरित किया है। लेकिन अगर मै जिंदा बचा तो आप मेरी जय-जयकार करना। उस औरत ने नेपोलियन की बात सुनकर कहा- तुम पहले इंसान हो जो मेरी बात सुनकर हताश और निराश नहीं हुए। ‘ जो करने या मरने ‘ और मुसीबतों का सामना करने का इरादा रखते है, वह लोग कभी नही हारते।
आज सचिन तेंदुलकर (sachin tendulkar) को इसलिए क्रिकेट (cricket) का भगवान कहा जाता है क्योकि उन्होने जरूरत के समय ही अपना शानदार खेल दिखाया और भारतीय टीम को मुसीबतों से उभारा। ऐसा नहीं है कि यह मुसीबते हम जैसे लोगो के सामने ही आती है, भगवान राम के सामने भी मुसीबते आयी है। विवाह के बाद, वनवास की मुसीबत। उन्होने सभी मुसीबतों का सामना आदर्श तरीके से किया। तभी वो मर्यादा पुरषोतम कहलाये जाते है। मुसीबते ही हमें आदर्श बनाती है।
अंत मे एक बात हमेशा याद रखिये
जिंदगी में मुसीबते चाय के कप में जमी मलाई की तरह है,
और कामयाब वो लोग हैं जिन्हेप फूँक मार के मलाई को साइड कर चाय पीना आता है


tdl.edu.in

वही सबसे तेज चलता है, जो अकेला चलता है।

"हमेशा याद रखिये कि सफलता के लिए किया गया आपका अपना संकल्प किसी भी और संकल्प से ज्यादा महत्त्व रखता है।"
"Always bear in mind that your own resolution to succeed is more important than any other."
http://tdl.edu.in/


Wednesday, 13 December 2017

Welcome To TDL International School |Call 7080107000|best school in  lucknow |best school
tdl.edu.in